चण्डीगढ़। शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में प्रशासन की तरफ से मेडिकल सेवा देने के साथ-साथ शहरवासियों को अपने आप की सुरक्षा रखने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है।
रविवार को ट्वीट के जरीए शहर के एडवाइजर मनोज परिदा ने चडीगढ़ वासियों से अपील है कि “ट्रैफिक पॉइंट्स पर दौड़ने वाले भिखारियों को पैसे न दें। वे कोरोना स्प्रेडर हो सकते हैं”। एडवाइजर मनोज पारिदा ने कहा कि भिखारीयों को जेल नहीं भेजा जा सकता क्योंकि भीख मांगना कानून के अनुसार कोई अपराध नहीं है। हालांकि इन भिखारियों को बहुत बार शेल्टर्स में भेजा जाता है लेकिन ये वहां से भागकर फिर से भिख मांगना शुरू कर देते है।
Appeal to Chandigarh residents not to give money to beggars who rush to you at traffic points.They could be corona spreaders..We can’t jail them since beggary is not a crime.When put in shelter homes they run away to make money from https://t.co/xSlMuQAAXJ simply say NO.
— Manoj Parida (@manuparida1) July 26, 2020
यदि प्रत्येक शहरवासी कोरोना से सतर्कता के साथ केवल अपना बचाव कर ले तो कोरोना की इस चेन को तोड़ना थोड़ा आसान हो जाएगा। इसीलिए एडवाइजर मानोज पारिदा ने शहर वासियों से अपील की, कि वे भिखारियों को भीख न दें। भिखारी दिन भर शहर की सड़कों पर घूमते हैं और सिग्नल पर लगभग हर वाहन के पास जाकर भिख मांगते है। जिनमें से कुछ लोग उन्हें भिख दे भी देते है। इस तरह से ये भिखारी दिन भर कई लोगों व वस्तुओं के सम्पर्क में आते है। जिस कारण इनके द्वारा कोरोना वायरस फैलने का खतरा पैदा हो सकता है।
इसीलिए शहरवासी यदि इन्हें भिख न दे तो कोरोना से बचाव भी किया जा सकता है। साथ ही भिख न मिलने पर ये भिखारी फिर से आश्रय घरों में आ कर रहने लगेंगें।
भिखारियों वाहनों के आगे आकर भीख मांगने से रहती है दुर्घटना की संभावना
लॉकडाउन खुलने के बाद सड़कों और ट्रैफिक लाइटों पर भीख मांगने वालों की भीड़ भी बढ़ गई है। ये लोग रेड लाइट होते ही अचानक वाहनों के सामने आ जाते हैं, और वाहनों के शीशे पर जोर-जोर से हाथ मारकर भीख मांगने लगते हैं। जब ये अचानक ट्रैफिक के बीच आ जाते हैं, तो इससे दुर्घटना होने की संभावना रहती है। इतना ही नहीं कई बार इनकी वजह से दुर्घटना हो चुकी है।
जिसमें ये भीख मांगने वाले बच्चे चोटिल हो चुके हैं। ज्यादातर ये बच्चे ट्रैफिक लाइटों पर ही भीख मांगते हैं तथा इनके मां-बाप या संरक्षक पास में ही चौराहे पर बैठे होते हैं तथा इन्हें भीख मांगने को बढ़ावा देते हैं।
ये बच्चे ज्यादातार हाउसिंग बोर्ड चौक, ट्रांसपोर्ट चौक, सेक्टर-18 का चौक, ट्रिब्यून चौक के अलावा अन्य कई मुख्य चौराहों पर भीख मांगते देखे जा सकते हैं। इनके कारण ट्रैफिक की व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। इतना ही नहीं यदि किसी गाड़ी का शीशा खुला हो तो ये सामान भी गायब कर देते हैं। ट्रैफिक पुलिस का इन पर कोई कंट्रोल नहीं है। जबकि ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करती है।
पंचकूला समाचार की टीम ने कई चौराहों पर सर्वे के दौरान अपने व्हीकल पर बैठे चंडीगढ़ के सुचेत गुता, संजीव कुमार, राजेंद्र कुमार, उमेश जिंदल से पूछा तो इनका कहना था कि ये लोग हमारी शर्ट खींच-खींच कर पैसे मांगते हैं, लेकिन हमें डर रहता है कि इस दौरान वे कहीं अन्य व्हीकल से टकरा न जाएं, कहीं लेने के देने न पड़ जाएं। कई बार तो हमने ट्रैफिक पुलिस से भी शिकायत दर्ज कराई है, मगर उनकी बात को अनसुना कर दिया गया।
टीम ने सर्वे में पाया कि ट्रैफिक पुलिस के सामने ही ये लोग भीख मांगते रहते हैं मगर पुलिस कोई एक्शन नहीं लेती, जिससे बाल मजदूरी को बढ़ावा मिलता देखा जा सकता है। इन वाहन चालकों का कहना है कि प्रशासन इन पर रोक लगाकर इन्हें NGO द्वारा ऐसे बच्चों के लिए बनाए गए सेंटरों में भिजवाए जहां ये शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य संवार सकें।
इसके अलावा नगर सुधार सभा, पंचकूला के चेयरमैन तरसेम गर्ग ने कहा कि चौराहों पर भीख मांगने वाले लोगों पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भीख मांगने की प्रथा पर रोक लग सके और ये या तो इनके लिए बनाए गए सेंटरों पर जाकर अथवा सरकार द्वारा ऐसे बच्चों के लिए बनाए स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर सकें।