पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने गुरूवार को प्रसिद्ध सिख क्रांतिकारी बाबा महाराज सिंह जी, जोकि जंग-ऐ-आज़ादी के पहले शहीद थे, की प्रतिमा का अनावरण जि़ला लुधियाना के गाँव रब्बों उच्ची में किया। इसके बाद उन्होंने गाँव के ही गुरुद्वारा श्री दमदमा साहिब में माथा भी टेका।
मुख्यमंत्री के साथ इस मौके पर फतेहगढ़ साहिब से लोक सभा सदस्य डॉ. अमर सिंह, हलका पायल से विधायक लखबीर सिंह लक्खा, जि़ला परिषद् के चेयरमैन यादविन्दर सिंह जंडियाली, लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर वरिन्दर कुमार शर्मा और कई अन्य आदरणीय लोग भी उपस्थित थे।
इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा महाराज सिंह ने पहले सिख-अंग्रेज़ युद्ध के बाद पंजाब में अंग्रेज़ी हुकूमत विरोधी लहर का नेतृत्व किया। मुख्यमंत्री ने लोगों को देश की एकता और अखंडता के लिए जूझने हेतु प्रेरणा देते हुए आज़ादी की जंग के इस पहले शहीद द्वारा दर्शाए गए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बाबा महाराज सिंह जी एक महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने देश की आज़ादी की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी। उन्होंने आगे कहा कि 1857 के विद्रोह को देश की आज़ादी की जंग की शुरुआत के तौर पर पेश करने की कोशिशें हुईं, परन्तु इतिहास ने यह साबित कर दिया कि बाबा महाराज सिंह ने उसी समय देश को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया था, जब उन्होंने आखिरी सिख शासक महाराजा दलीप सिंह को अंग्रेज़ों के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की थी। परन्तु, अंग्रेज़ों को बाबा महाराज सिंह द्वारा अपने साथियों के साथ मिलकर बनाई गई योजना की सूचना मिल गई, जिसके निष्कर्ष के तौर पर उन्होंने बाबा महाराज सिंह को कैद कर सिंगापुर भेज दिया, जहाँ बाबा महाराज सिंह जी कई परेशानियों से जूझते हुए 5 जुलाई, 1856 को शहीद हो गए।
गुरुद्वारा श्री दमदमा साहिब में नतमस्तक होने के बाद मुख्यमंत्री ने कोविड-19 की महामारी के दौरान सराहनीय काम करने के लिए धार्मिक शख़्िसयतों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया।
हेलीपैड पर वापस जाते समय मुख्यमंत्री को सडक़ के किनारे खड़े कुछ लोग दिखाई दिए। अपने काफिले को कुछ देर के लिए रुकने का इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने इन स्थानीय निवासियों की शिकायतें सुनी और उनकी संतुष्टी के मुताबिक इन शिकायतों का निपटारा करने का आश्वासन भी दिया।