बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान सारे शहर में बिजली गुल हो गयी थी । इसी संदर्भ में पुलिस कर्मियों से पूछताछ कर पता कर रही है की हड़ताल शुरू होते ही शहर में बिजली कैसे चली गयी । पुलिस का मन्ना है की इसमें कर्मचारियों की सोची समझी साजिश नजर आती है । हड़ताल के दौरान खास तौर से 21 फरवरी की रात 12 बजे हड़ताल शुरू होते ही जानबूझकर जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 की पावर सप्लाई काटे जाने का मामला मुख्य है।
हॉस्पिटल की बिजली कट मामले में हुआ केस दर्ज
सेक्टर-3 थाना पुलिस ने बिजली कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा एक्ट, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 की सेक्शन-51, संक्रमण फैलाने, बाधा पहुंचाना और डीसी के आदेशों की अवहेलना करने की धारा 188 के तहत केस दर्ज किया है।हड़ताल के दौरान अस्पतालों की बिजली गुल करने के मामले में अब तक पांच कर्मचारी नेताओं को नामजद कर अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
प्रशाशन द्वारा कोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट
एसपी सिटी के सुपरविजन में डीएसपी और एसएचओ सहित एक टीम तेजी से कार्रवाई में लगी है। इस मामले में हाई कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने से पहले तक बिजली कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी संभव है।पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में वीरवार को उपायुक्त बिजली बाधित मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करेंगे।
प्रशासन ने की यह कार्रवाई
- सुपरविजन करने वाले दो जूनियर इंजीनियर निलंबित।
- सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी को नोटिस।
- 126 रेगुलर इंप्लाइज को कारण बताओ नोटिस।
- 17 आउटसोर्स कर्मियों को बर्खास्त किया गया,143 के खिलाफ केस दर्ज कर एस्मा के तहत कार्रवाई।
- 21 की रात 12 बजे हड़ताल शुरू होते ही कट गई थी जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 की पावर सप्लाई
- बैकअप नहीं होता तो जा सकती थी कई मरीजों की जान
- बिजली कर्मचारियों के खिलाफ केस किया गया था दर्ज
हड़ताल के कारण रुकी थी सर्जरियां
पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट ने भी अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर शहर की जनता को परेशानी में नहीं डाल सकते। पहली बार चंडीगढ़ में 2 दिन बिजली गुल रही थी, जिसके चलते 4000 से ज्यादा सर्जरी रोकनी पड़ गई। एक दिन में इंडस्ट्री को 70 करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया। वहीं, प्रशासन को यूनियन के सामने नतमस्तक होने की फटकार लगाकर कोर्ट ने कार्रवाई क्यों नहीं होने का सवाल पूछा है।