रूस यूक्रेन युद्ध में भारत के हज़ारों बच्चे वहां फसे हुए हैं । ऐसी ही एक भयानक मंजर चंडीगढ़ की बेटी शैलविन ने टेलीफोनिक बातचीत में बताया । शैलविन के पिता संदीप जीएमएसएच-16 में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हैं।शैलविन भारत से यूक्रेन एमबीबीएस करने के लिए गई थी।
अचानक बमबारी से सहमे हुए हैं स्टूडेंट्स
शैलविन ने कहा कि यूक्रेन में भारी गोलाबारी होने के बाद भारतीय एंबेसी से तत्काल यूक्रेन छोड़ने की नई एडवाइजरी जारी की थी। मेरे साथ तकरीबन 2 हजार भारतीय स्टूडेंट्स खार्किव से आठ किलोमीटर पैदल चलकर ट्रेन पकड़ने को पहुंचे थे। वहां पर यूक्रेन के सैनिक एंट्री करने से अनुमति नहीं दे रहे थे। वहां पर अचानक बमबारी होने से मैट्रो के बंकर में जा छिपे कि एक एडवाइजरी मिली कि सभी बच्चे तत्काल खार्किव छोड़ दें। भारतीय एंबेसी ने बताया कि सभी पिसोचिन पहुंचे। इसके बाद 15 किलोमीटर दूर रात के अंधेरे में बमबारी के धमाकों के बीच सभी स्टूडेंट्स पैदल ही पिसोचिन पहुंचे। यहां पर हम सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आखिरी उम्मीद है। भारतीय सरकार से अपील है कि लगातार बमबारी हो रही है, हम लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया जाए।
यूक्रेनी सैनिक कर रहे स्टूडेंट्स से जबरदस्ती
शैलविन का कहना है कि रूसी सैनिक भारतीय तिरंगा देखकर स्टूडेंट्स को जाने दे रहे हैं । लेकिन यूक्रेनी सैनिक नाकाबंदी कर सभी को देश में रोकने के लिए जबरदस्ती कर रहे हैं । आपसी बातचीत में सैनिक भारतीय स्टूडेंट्स को रूस के खिलाफ ढाल बनाने की बात कर रहे हैं।