पूर्व सेना प्रमुख और पंजाब के पूर्व राज्यपाल व चंडीगढ़ के पूर्व प्रशासक जनरल एसएफ रोड्रिग्स का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। जनरल रोड्रिक्स का जन्म 1933 में मुंबई में हुआ था। वह 1990 से 1993 तक भारतीय सेना के प्रमुख रहे। जनरल एसएफ रोड्रिग्स को 8 नवंबर 2004 को पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया था। रोड्रिग्स एक विचारक और रणनीतिकार के रूप में जाने जाते थे। वह अपने पीछे राष्ट्र के प्रति अत्यधिक समर्पण और सेवा की विरासत छोड़ कर गए हैं। अपने 40 साल के सफर में उन्होंने भारतीय सेना के अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड में दो कार्यकाल की सेवा भी दी।
प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने जताया शोक
पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने एसएफ रोड्रिग्स के निधन पर शोक व्यक्त किया है। शोक संदेश में पुरोहित ने कहा कि जनरल रोड्रिग्स एक कुशल रणनीतिकार थे, जिन्होंने भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा निभाई और साथ ही राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड में भी काम किया।
पंजाब के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान जनरल रोड्रिग्स लोगों में बहुत लोकप्रिय थे और अपने पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य के लोगों की काफी सेवा की। पुरोहित ने कहा कि उनका निधन देश के लोगों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। पुरोहित ने परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की और ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और उनके परिवार को असहनीय क्षति से उबरने का बल प्रदान करने की प्रार्थना भी की।
रोड्रिग्स ने देखा था चंडीगढ़ में एजुसिटी बनाने का सपना
16 नवंबर 2004 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बीके राय ने पंजाब राजभवन में एसएफ रोड्रिग्स को पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर शपथ दिलाई थी। इसके बाद रोड्रिग्स ने सारंगपुर में 150 एकड़ एरिया में एजुकेशन सिटी बनाने की योजना तैयार की।
12 अक्तूबर 2009 को उन्होंने इसका नींव पत्थर भी रखा लेकिन यह परियोजना उनकी योजना के मुताबिक सफल नहीं हो सकी। शहर के युवाओं को प्रोफेशनल और टेक्निकल एजुकेशन लेने के लिए दूसरे शहरों में न जाना पड़े, इसलिए यह योजना तैयार की गई थी। गांव सारंगपुर की जमीन पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत एजुकेशन सिटी प्रोजेक्ट डेवलप करने का निर्णय लिया गया था। इस प्रोजेक्ट के लिए 150 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी, जिसमें पहले फेज के तहत प्राइवेट प्लेयर्स के लिए 75 एकड़ जमीन रिजर्व रखी गई थी। बाकी 75 एकड़ जमीन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन और दूसरे प्रोफेशनल कॉलेज के लिए रखी जानी थी।
वर्ष 2013 में अलग-अलग फेज में 15 से अधिक संस्थानों ने आवेदन किया और शॉर्टलिस्ट भी हुए लेकिन फाइनल एग्रीमेंट साइन नहीं किया। हालांकि कुछ कंपनियों के साथ बात बन गई। इसके बाद रोड्रिग्स ने नर्सी मोंजी का 12 अक्तूबर 2009 और चितकारा इंस्टीट्यूट का 26 अक्तूबर, 2009 को नींव पत्थर रखा। हालांकि अब प्रशासन के अधिकारी भी चाहते हैं कि इस योजना को आगे बढ़ाया जाए। पिछले दिनों एजुसिटी को लेकर प्रशासन के अधिकारियों की बैठक हुई और प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। बैठक में यह तय हुआ कि जिस इंस्टीट्यूट की ओर से समय पर पैसे जमा कराए गए हैं, उसे अपना कैंपस शुरू करने दिया जाए।