पीजीआई में रोज लगभग 300 किडनी पेशेंट्स आ रहे हैं , किडनी की बीमारी बढ़ने का कारण डायबिटीज है । चंडीगढ़ में हर 100 में से 14 लोग डायबिटीज पेशेंट है । जबकि पूरे देश में 100 में से 7 को यह बीमारी है । प्रो. एच्अस कोहली का कहना है कि जिन लोगो को लम्बे समय से डायबिटीज है उनमें से 40 से 45 % लोगों को क्रोनिक किडनी डिजीज होने का खतरा है।
70 प्रतिशत मरीजों का नहीं मिलता इलाज
किडनी कि बीमारी के हर साल तीन लाख मरीज आ रहे हैं । इनमें से 30 प्रतिशत लोगों का इलाज मिल जाता है ,लेकिन 70 प्रतिशत लोग बिना इलाज के रह जाते है । पिछले दस सालों में पीजीआई में किडनी के मरीजों कि संख्या चार गुना हो गई है । पहले एक दिन में 70 से 80 मरीज आते थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 280 से 300 हो गई है ।
साल में एक बार बॉडी टेस्ट जरूर करवाएं
प्रो . कोहली का कहना है कि डायबिटीज के मरीजों का ज्यादा फोकस हार्ट पर होता है , इसकी वजह है कि मरीज सड़न कॉर्डियक अरेस्ट से डरते है , लेकिन इन मरीजों को अपनी आँखों और किडनी आदि का भी उतना ही ख्याल रखना चाहिए । किडनी डैमेज होने का असर देरी से सामने आता है । प्रो. कोहली कहते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को क्रोनिक किडनी डिजीज होने का खतरा ज्यादा रहता है । ऐसे मरीजों को साल में एक बार रूटीन टेस्ट जिनमें रीनल फंक्शन टेस्ट , डायबिटीज का हार्ट संबंधी टेस्ट साल में एक बार अवश्य करवाना चाहिए ।