क्या जब तक बड़ी हलचल न हो, तब तक चंडीगढ़ प्रशासन नही जागता? किसी की मौत इसके लिए मायने नहीं रखती? कार्मल कॉन्वेंट स्कूल में हुए हादसे के बाद अब जा कर प्रशासन की नींद खुली है। हादसे में एक मासूम बच्ची हिराक्षी की मौत के बाद सवाल उठने पर प्रशासन खतरनाक पेड़ों पर कार्रवाई कर रहा है।
शहर में हेरिटेज पेड़ों का सर्वेक्षण किया गया। नतीजे में सेक्टर 19 और सेक्टर 23 के दो हेरिटेज पेड़ों को काटा जायेगा। विशेषज्ञों ने बताया कि वे अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है कि प्रशासन किसी बड़े हादसा होने का इंतज़ार में रहता है और उसके बाद ही कोई निरिक्षण किया जाता है? क्या प्रशासन हर 6 महीने या साल में यह निरिक्षण नहीं कर सकता? अगर समय रहते प्रशासन द्वारा यह कारवाई की जाती तो शायद हिराक्षी की जान बच जाती। स्कूल अटेंडेंट शीला पीजीआई में वेंटिलेटर पर न जाती। एक लड़की के लोअर स्पाइन में फ्रैक्चर न आते और एक लड़की की कोहनी तक बाजू न काटनी पड़ती।
पहले भी हो चूका है ऐसा….
2019 में भी एक ऑटो वाले की जान स्कूल में लगे पेड़ के गिरने से चली गई थी। तीन साल पहले हुए इस हादसे को लेकर प्रशासन ने कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की थी और न ही कोई इस प्रकार व्यापक स्तर पर स्कूलों में सर्वे करवाया था।
11 जुलाई 2019 को 46 वर्षीय शख्स सेक्टर-37 के गवर्नमेंट स्कूल के बाहर अपना ऑटो लेकर खड़ा था। उस दिन तेज बारिश भी हुई थी। मलोया कॉलोनी के रहने वाले नरेश कुमार के ऑटो पर स्कूल में लगे विशाल सफेदे का पेड़ आ गिरा था। उसने स्कूल की 2 बजे छुट्टी होने पर अपनी बेटी को पिक करना था, लेकिन पेड़ गिरने से उसे कई गंभीर चोटें आई।
पेड़ की शाखा ने आगे का विंड स्क्रीन तोड़ दिया और ऑटो भी पिचक गया था। वह कुछ देर पेड़ के नीचे ऑटो में फंसा रहा। साथी ऑटो चालकों ने उसे बाहर निकाला और पुलिस को घटना की जानकारी दी थी। पुलिस उसे गाड़ी में डालकर पीजीआई ले गई थी, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। नरेश अपने तीन बच्चों और पत्नी का पेट पाल रहा था।