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चंडीगढ़ हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई कर सोनू बना लेफ्टिनेंट

  • चंडीगढ़ में सिक्योरिटी गार्ड का बेटा बना लेफ्टिनेंट
  • दड़वे में एक कमरे में रहकर की पढ़ाई

17 साल से दड़वा में एक कमरे के मकान में रेंट पर रहने वाले सिक्योरिटी गार्ड शोभाकांत उपाध्याय के बेटे सोनूकांत उपाध्याय लेफ्टिनेंट बन चुके हैं। देहरादून में सैन्य अकादमी के पासिंग परेड में उनको लेफ्टिनेंट बनाया गया तो उनके माता-पिता के चेहरे की रौणक देखने वाली थी।

मूलरूप से बिहार के सीवान जिले के रहने वाले सोनूकांत की इस कामयाबी के पीछे संघर्ष की अनोखी कहानी है। सोनूकांत ने बताया कि दड़वा में हमारे कमरे का किराया सौ रुपये था, इसलिए कमरे के आकार का अंदाजा लगाया जा सकता है।

हिंदी मीडियम से पढक़र हासिल की सफलता

हिंदी मीडियम में दसवीं पास की और सेक्टर -32 के गर्वनमेंट स्कूल में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला ले लिया। अंग्रेजी मीडियम को देखकर लगा कि आगेे की पढ़ाई मुश्किल लगी लेकिन जिदद के आगे मुश्किल हार गई।

पहले NCC ज्वाइन की, फिर सैन्य अफसर बनने की ठानी

सोनूकांत उपाध्याय ने बताया कि जीएमएसएसएस -32 में दाखिला लेने के बाद एनसीसी ज्वाइन की, तभी फैसला किया कि मुझे सेना में अफसर बनाना है। हमारे बड़े होने के साथ परिवार के खर्चे भी बड़े हो रहे थे। इसलिए घर के हालत सुधरे इसलिए साल 2014 में कॉलेज की पढ़ाई छोडक़र सेना ज्वाइन कर ली। अब मेरे पास नौकरी थी, लेकिन मैंने सैन्य अधिकारी बनने के लिए संघर्ष जारी रखा। निरंतर संघर्ष और प्रयास से मैंने आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की परीक्षा उत्तीर्ण की और मिलिट्री अकादमी पहुंचा। चार साल की ट्रेनिंग के बाद अब मैं सैन्य अकादमी से पासआऊट होकर लेफ्टिनेंट बना हूं।

पिता बोले- बेटे की मेहनत से सपने पुरे हुए

पिता शोभाकांत उपाध्याय ने बताया कि सोनू बचपन से ही मेहनती और साहसी रहे हैं। उन्होंने कठिन समय में भी अपनी हिम्मत नहीं हारी और अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करते रहे। आज लेफ्टिनेंट बनकर मेरा जीवन भी सफल और साथर्क बना दिया है।

माता -पिता को रखूंगा हमेशा अपने साथ

सोनू अब जम्मू में इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ईएमई) में बतौर आर्मी अफसर ज्वाइन करेंगे। अब मैं अपने माता -पिता को हमेशा अपने साथ रखेगें। उन्हें सैन्य अफसर के माता-पिता होने का गर्व हर समय महसूस होना चाहिए। उनका पूरा जीवन तंगहाली में बीता है अब उन्हें अपने जीवन में बदलाव महसूस होना चाहिए।