- वर्षों से खाली पड़े हैं सरकारी आवास
चंडीगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के 121 से ज्यादा घर खली पड़े हैं । इनमें डॉक्टरों के 65 व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 56 घर शामिल हैं। इससे यह पता चलता है कि उच्च अधिकारियों को सरकारी संपत्ति के नुकसान और आर्थिक हानि से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग जानबूझकर उन आवासों को अलॉट नहीं कर रहा है, क्योंकि अगर डॉक्टरों के आवास उनके रहने योग्य नहीं है तो उसे अन्य कर्मचारियों को अलॉट किया जा सकता है। इससे साफ पता चलता है कि ये आवास स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण खाली पड़े हैं।
मकानों की मरम्मत करवाकर उसे उपयोग में लाया जाए- आरटीआई एक्टिविस्ट आरके गर्ग
आरटीआई एक्टिविस्ट आरके गर्ग का कहना है कि चंडीगढ़ जैसे आधुनिक शहर में लोगों को किराए पर रहने के लिए आवास नहीं मिल रहे हैं। कम वेतन वाले कर्मचारी 15 से 20,000 रुपये मासिक किराया देकर मकानों में रहने को मजबूर हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के तहत 100 से ज्यादा मकानों का खाली रहना बेहद दुखद है। स्वास्थ्य विभाग के साथ ही प्रशासन को भी इस ओर गंभीरता से सोचने की जरूरत है, क्योंकि इससे सरकारी धन की भी क्षति हो रही है। उन मकानों की मरम्मत करवाकर उसे उपयोग में लाया जाना बेहद जरूरी है। प्रशासन स्वास्थ्य विभाग के साथ ही अन्य विभागों में भी खाली पड़े आवासों की सूची तैयार कर उसकी मरम्मत करवाएं और उसे जरूरतमंद कर्मचारियों को अलॉट करें, ताकि उससे आर्थिक क्षति रोकने के साथ ही सरकारी संपत्ति की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।
घरों को किराये पर देने से बढ़ेगी विभाग की इनकम
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुबंधित कर्मचारियों ने कई वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में खाली पड़े मकानों को एनएचएम कर्मचारियों को किराए पर देने की मांग की थी। इस मांग को पूर्व निदेशक, स्वास्थ्य डॉ. अमनदीप कौर कंग द्वारा एनएचएम यूनियन के साथ जुलाई 2021 में हुई मीटिंग के दौरान स्वीकृति भी दे दी गई थी, परंतु अभी तक कर्मचारियों के हाथ कुछ नहीं लगा है।कर्मचारियों का कहना है कि विभाग द्वारा बार बार यही कहा जा रहा है कि फाइल को स्वास्थ्य सचिव के पास भेजा गया है। कर्मचारियों के अनुसार एनएचएम कर्मचारियों की मांग को मानते हुए अगर उन खाली आवासों को उन्हें किराए पर दिए जाय तो विभाग की आय बढ़ेगी और जर्जर हालत में मकान की देखभाल सही ढंग से हो पाएगी।