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हड़ताल: फायदे में रहने के बावजूद भी बिजली विभाग का निजीकरण क्यों ?

  • बिजली विभाग की हड़ताल, एक सुर में कर्मचारी बोले- फायदे के बाद भी निजीकरण।

चंडीगढ़ में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। सिटी में कई विभागों ने यूटी पावरमैन यूनियन के आह्वान पर हड़ताल की और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। जिसकी वजह से कई सेक्टरों में बिजली भी बंद रही। दुसरी ओर प्रशासन ने हड़ताल पर रहने वाले कर्मचारियों की एक दिन की तनख्वाह काटने का फैसला लिया है।

बुधवार को सुबह ही कर्मचारियों ने सुबह अपने कार्यालयों में समूहों में मार्च कर सेक्टर-17 की रैली में शामिल हुए। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा, जिसके चलते उन्होंने कंट्रोल रूम में शिकायतें दी।

फायदे में रहने पर निजीकरण से रोका जाए

यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने बताया कि हड़ताल इस विभाग के निजीकरण के खिलाफ संशोधन बिल को रद्द करने, निजीकरण के दस्तावेज स्टैंडर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट को निरस्त करने और मुनाफे के बावजूद भी बिजली विभाग का निजीकरण रोकने के लिए है। अखिल भारतीय पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने रोष प्रगट करते हुए बताया कि केंद्र सरकार अपने वायदे से मुकर गई है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वहीं, यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह ने कहा कि निजीकरण की आंधी से विद्युत वितरण का कार्य मनमाने ढंग से अपने पसंदीदा कारपोरेट घरानों और यहां तक की छोटे ठेकेदारों तक को दिया जाएगा। इसे रोकना जरूरी है। इसके लिए कर्मचारियों का सहयोग मांगा जा रहा है। प्रशासन फायदे में चल रहे विभाग को बेचने पर न जाने क्यों आतुर है।